Product Description
संत कवि मेँहीँ की यह दूसरी रचना है। यह 1930 ई0 में भागलपुर, बिहार प्रेस से प्रकाशित हुई थी। इसमें गोस्वामी तुलसीदासजी के रामचरितमानस के 152 दोहों और 951 चौपाइयों की व्याख्या की गयी है। इसका मुख्य लक्ष्य है-स्थूल भक्ति और सूक्ष्म भक्ति के साधनों को प्रकाश में लानाा है।
रामचरितमानस का मुख्य विषय
रामचरितमानस के पूरे कथानक को रखते हुए उनमें जो योग बिषयक मुख्य-मुख्य दोहा, चौपाईयां हैं; उनका वर्णन करके उसकी व्याख्या की गई है । कथा को भी बनाए रखने के लिए उसका सार भाग जोड़ते हुए आगे बढ़ा दिया है। जिससे कथा का भी आनंद और योग विषयक रामचरितमानस में वर्णन का भी विशेष जानकारी प्राप्त होता है।
इस पुस्तक के बारे में विशेष जानकारी के लिए यहां दबाएं।
0 Reviews